प्रेस रिपोर्ट
मध्य एशिया : साहित्यिक, सांस्कृतिक परिदृश्य और हिन्दी विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय परिसंवाद सम्पन्न ।
कल्याण (महाराष्ट्र), 22 सितम्बर 2025।
के. एम. अग्रवाल महाविद्यालय, कल्याण तथा इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सेंट्रल एशियन स्ट्डीज (समरकंद, उज्बेकिस्तान) एवं अल्फ़रांगस यूनिवर्सिटी, ताशकंद के संयुक्त तत्वावधान में 20–21 सितम्बर 2025 को “मध्य एशिया : साहित्यिक, सांस्कृतिक परिदृश्य और हिन्दी” विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय ऑनलाइन परिसंवाद सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ। जूम प्लेटफॉर्म पर आयोजित इस परिसंवाद में भारत, उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस सहित विभिन्न देशों से 80 से अधिक विद्वानों, शोधार्थियों और शिक्षकों ने भाग लेकर अपने विचार एवं शोध प्रस्तुत किए।
उद्घाटन सत्र का संचालन परिसंवाद संयोजक डॉ. मनीष कुमार मिश्रा (सहायक प्राध्यापक, हिन्दी विभाग, के. एम. अग्रवाल महाविद्यालय) ने किया। स्वागत भाषण श्री एवरन रुतबिल (निदेशक, IICAS, समरकंद) ने दिया। प्राचार्य डॉ. अनीता मन्ना ने संस्थान की ओर से संदेश दिया। बीजवक्ता प्रो. (डॉ.) रवीन्द्र सिंह (दयाल सिंह कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय) रहे। विशिष्ट अतिथियों में प्रो. (डॉ.) रामकांत द्विवेदी (MERI, नई दिल्ली) और वरिष्ठ इन्डोलॉजिस्ट श्री रहमतव बायोत (ताशकंद विश्वविद्यालय) शामिल थे। आभार प्रदर्शन डॉ. पुलातोव शेरदोर नेमत्ज़ोनोविच (अल्फ़रांगस विश्वविद्यालय) ने किया।
परिसंवाद में कुल पांच तकनीकी सत्र आयोजित हुए, जिनमें हिन्दी साहित्य और मध्य एशिया की परंपराओं, सूफ़ी और बौद्ध साहित्य, भारतीय स्थापत्य, संगीत एवं नृत्य, बॉलीवुड और सांस्कृतिक कूटनीति जैसे विविध विषयों पर शोधपत्र प्रस्तुत किए गए।
प्रमुख वक्ताओं में प्रो. नोज़िम गफ्फारोविच, डॉ. सुशांत कुमार दुबे, सोनिया राठौर, डॉ. सत्यवान माने, डॉ. रूपेश दुबे, गुलज़बीन अख़्तर अंसारी, डॉ. नवीन कुमार, मंजना कुमारी, प्रो. वंदना पुनिया, डॉ. रीता मिश्रा, डॉ. वैशाली पाटिल, डॉ. किरण चव्हाण, डॉ. अनुराधा शुक्ला, डॉ. उषा आलोक दुबे, डॉ. रीना सिंह, कमोला अहमदोवा, डॉ. कल्पना, डॉ. सुनीता क्षीरसागर, डॉ. हर्षा त्रिवेदी, डॉ. नवल पाल प्रभाकर दिनकर आदि विद्वानों के नाम उल्लेखनीय रहे।
21 सितम्बर को आयोजित समापन सत्र में विशिष्ट अतिथि सुश्री कमाक्षी वासन (ग्लोबल COO एवं एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, टिलोट्टोमा फाउंडेशन) ने संबोधित किया। विभिन्न देशों के प्रतिभागियों ने अपनी प्रतिक्रियाओं में इस परिसंवाद को “भारत–मध्य एशिया संबंधों की नई दिशा” बताया। आभार ज्ञापन डॉ. मनीष कुमार मिश्रा एवं प्रो. परवीन कुमार ने किया।
यह अंतर्राष्ट्रीय परिसंवाद भारत और मध्य एशिया की साझी सांस्कृतिक धरोहर को सामने लाने वाला रहा। भाषा, साहित्य, संगीत, स्थापत्य और कूटनीति जैसे विविध पहलुओं पर हुए संवाद ने भविष्य के सहयोग और शोध की संभावनाओं को नई दिशा प्रदान की। इस आयोजन के साथ ही के एम अग्रवाल महाविद्यालय का हिन्दी महोत्सव 2025 कार्यक्रम संपन्न हुआ।
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