रविवार, 23 फ़रवरी 2025

राज कपूर शताब्दी वर्ष और मध्य एशिया ।

 

राज कपूर शताब्दी वर्ष और मध्य एशिया

डॉ. मनीष कुमार मिश्रा

 डॉ. नीलुफ़र खोजाएवा

 

                   वर्ष 2024 कद्दावर फ़िल्म अभिनेता राज कपूर का जन्म शताब्दी वर्ष है । भारत के आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने इस अवसर पर कपूर परिवार से बातचीत करते हुए कहा कि, ‘’राज कपूर की 100वीं जयंती का उत्सव भारतीय फिल्म उद्योग की स्वर्णिम यात्रा की गाथा का प्रतीक है। मध्य एशिया में भारतीय सिनेमा के लिए मौजूद अपार संभावनाओं को भुनाने की दिशा में काम करने की जरूरत है, मध्य एशिया में नई पीढ़ी तक पहुंचने के प्रयास किए जाने चाहिए । उन्होंने कहा कि फिल्म ‘नील कमल’ 1947 में बनी थी और अब हम 2047 की ओर बढ़ रहे हैं और इन 100 वर्षों के दौरान उनका योगदान बहुत महत्वपूर्ण है। कूटनीति के संदर्भ में इस्तेमाल किए जाने वाले ‘सॉफ्ट पावर’ शब्द का जिक्र करते हुए श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि राज कपूर ने उस समय भारत की सॉफ्ट पावर की स्थापना की थी जब यह शब्द गढ़ा ही नहीं गया था। उन्होंने कहा कि भारत की सेवा में यह राज कपूर का बहुत बड़ा योगदान था। सिनेमा की ताकत को याद करते हुए श्री मोदी ने एक घटना का जिक्र किया जब तत्कालीन जनसंघ पार्टी दिल्ली में चुनाव हार गई थी। तब नेताओं ने राज कपूर की फिल्म ‘फिर सुबह होगी’ देखने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि पार्टी ने अब फिर से सुबह देखी है। श्री मोदी ने एक घटना को भी याद किया जब उन्होंने चीन में बज रहे एक गाने की रिकॉर्डिंग श्री ऋषि कपूर को भेजी थी, जिससे वो बहुत खुश हुए थे। 1

           हिन्दी फिल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता पृथ्वीराज कपूर के बड़े बेटे राज कपूर का जन्म दिनांक,14 दिसम्बर 1924 को पेशावर में हुआ था। उनके बचपन का नाम रणबीर राज कपूर था। प्रारंभिक स्कूली शिक्षा कोलकाता में हुई, लेकिन पढ़ाई में उनकी कोई रुचि नहीं थी । परिणाम स्वरूप  राज कपूर ने 10वीं कक्षा की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। सन् 1929 में जब पिता पृथ्वीराज कपूर बंबई/मुंबई आए, तो राज कपूर भी साथ आए। जब मात्र सत्रह वर्ष की आयु में रणजीत मूवीटोन में एक साधारण एप्रेंटिस का काम राज कपूर को मिला, तो उन्होंने वजन उठाने और पोंछा लगाने के काम से भी परहेज नहीं किया। पंडित केदार शर्मा के साथ काम करते हुए उन्होंने अभिनय की बारीकियों को सीखा। केदार शर्मा ने ही अपनी फ़िल्म 'नीलकमल' (1947) में मधुबाला के साथ राज कपूर को नायक के रूप में प्रस्तुत किया था।

                 एक बाल कलाकार के रूप में 'इंकलाब' (1935) , 'हमारी बात' (1943) और 'गौरी' (1943) फ़िल्म में छोटी भूमिकाओं में कैमर का सामना राज कपूर करने लगे थे। फ़िल्म 'वाल्मीकि' (1946) तथा 'नारद और अमरप्रेम' (1948) में आप ने कृष्ण की भूमिका निभाई । मात्र 24 वर्ष की आयु में राज कपूर ने पर्दे पर पहली प्रमुख भूमिका 'आग' (1948) नामक फ़िल्म में निभाई, जिसका निर्माण और निर्देशन भी उन्होंने स्वयं किया था। राज कपूर ने मुंबई के चेम्बूर इलाके में चार एकड़ ज़मीन लेकर सन 1950 में आर. के. स्टूडियो की स्थापना की । सन 1951 में आई फ़िल्म 'आवारा' के माध्यम से राज कपूर को एक रूमानी नायक के रूप में लोक प्रियता मिली । 'बरसात' (1949), 'श्री 420' (1955), 'जागते रहो' (1956) व 'मेरा नाम जोकर' (1970) जैसी सफल फ़िल्मों का न केवल निर्देशन व लेखन अपितु उनमें अभिनय भी राज कपूर ने ही किया।

            राज कपूर को हिन्दी फ़िल्मों का पहला शो मैन माना जाता है । उनकी फ़िल्मों में आवारगी, आशिक़ी, देश प्रेम,मौज-मस्ती, प्रेम, हिंसा से लेकर अध्यात्म,मानवतावाद और नायकत्व से लेकर लगभग सब कुछ उपलब्ध रहता था । राज कपूर की फ़िल्में न केवल भारत अपितु पूरे विश्व में सिने प्रेमियों द्वारा पसंद की गई।रूस में उनकी लोकप्रियता गज़ब थी । उज़्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में आज भी राज कपूर नाम से एक प्रसिद्ध भारतीय व्यंजनों का रेस्टोरेन्ट है । राजकपूर का मूल्यांकन एक महान् फ़िल्म संयोजक के रूप में भी किया जाता है ।उन्हें फ़िल्म की विभिन्न विधाओं की बेहतरीन समझ थी। यह उनकी फ़िल्मों के कथानक, कथा प्रवाह, गीत संगीत, फ़िल्मांकन आदि में स्पष्ट महसूस किया जा सकता है। राज कपूर को सन् 1987 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार प्रदान किया गया था। राज कपूर को कला के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा, सन् 1971 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। 02 जून, 1988 को राज कपूर ने अंतिम सांस ली । राजकपूर की फिल्मों की दीर्घकालिक महत्ता एवं लोकप्रियता के संबंध में जयप्रकाश चौकसे ने लिखा है कि (जयप्रकाश चौकसे (2010). राजकपूर : सृजन प्रक्रिया. नयी दिल्ली: राजकमल प्रकाशन। पृ॰-12.) "राजकपूर के जीवनकाल में उनके द्वारा निर्मित-निर्देशित फिल्मों ने, उनके लिए जितना लाभ कमाया, उससे हजार गुना अधिक धन, उनकी मृत्यु के बाद विगत इक्कीस वर्षों में कमाया है। प्रति तीन वर्ष सैटेलाइट पर प्रदर्शन के अधिकार अकल्पनीय धन में बिकते रहे हैं और यह सिलसिला आज भी जारी है। उनके समकालीन किसी भी फिल्मकार की रचनाओं को ये दाम नहीं मिले हैं।"

 

             अपनी फिल्मों  के माध्यम से मानवीय करुणा,विश्वास, प्रेम, मस्ती  और संवेदना का सौंदर्य पूरे विश्व में बिखेरने के लिए इस महान फ़िल्म अभिनेता को विश्व सदैव याद रखेगा । वर्ष 2024 राज कपूर का जन्म शताब्दी वर्ष है अतः उनके वैश्विक फ़िल्मी योगदान को याद करने का यह सुनहरा अवसर है । विशेष रूप से मध्य एशिया में उनकी लोकप्रियता की चर्चा हम इस शोध पत्र के माध्यम से करेंगे ।  राज कपूर और मध्य एशिया में उनकी दीवानगी किसी भी तरह भारत से कम नहीं है। उज़्बेकिस्तान और मध्य एशिया से जुड़ी उनकी सैकड़ों यादें हैं जिनकी विस्तार से चर्चा की जा सकती है। तत्कालीन सोवियत संघ और मध्य-पूर्व में राज कपूर की लोकप्रियता एक दंतकथा बन चुकी है। 'संगम' ने राज कपूर को एशिया का सबसे बड़ा शो मैन बना दिया। उज्बेकिस्तान में रह रहे वरिष्ठ भारतीय भाषाविद प्रोफेसर बयात ने अपनी बातचीत में हमसे कहा कि – राज कपूर के आवाराने उज्बेकिस्तान के हर घर में एक आवारा बना दिया था । उज़्बेकी युवा जूता का उच्चारण जुप्पा करते हुए मेरा जूता है जापानी गाते थे । उस समय भारत उन गिने-चुने देशों में से एक था जो वारसा पैक्ट के बाहर थे और जिनकी फ़िल्में USSR में आयात करने की इजाज़त थी।

          अल्बानिया, बुल्गारिया, चीन तक में यह गीत युवाओं में बड़ा लोकप्रिय हुआ।  फिल्म ‘आवारा’ और ‘श्री 420’  रूस में सिनेमाटोग्राफी प्रशिक्षण के पाठ्यक्रम में शामिल रही साथ ही उनकी कई फिल्में उज़्बेकी,रूसी, तुर्की, फारसी और अरबी भाषा में डब भी की गईं। दिनेश पाठक लिखते हैं कि - बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, सोवियत संघ में आवारा की प्रसिद्धि का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि देश की आजादी के बाद पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू पहली बार सोवियत की यात्रा पर गए तो उस वक्त वहां के प्रधानमंत्री थे बुलगानिन ।  एक सरकारी भोज के दौरान पहले पंडित नेहरू ने अपनी बात रखी, इसके बाद बोलने की बारी बुलगानिन की थी । उन्होंने अपने भाषण के दौराना आवारा हूं… गाकर सुनाया था।  यही नहीं, पंडित नेहरू को देख कर भी सोवियत संघ में भीड़ चिल्लाती थी, आवारा हूं । सोनाली नाईक लिखती हैं कि (https://www.tv9hindi.com/entertainment/bollywood-news/raj-kapoor-craze-in-russia-international-fans-thought-he-is-also-singer-what-he-did-next-was-surprising-3008546.html) - राज कपूर की फिल्म ‘आवारा’ के रूस में रिलीज होने से पहले ही उनके गाने वहां तक पहुंच गए थे, उनके गानों पर रूसवासी इतने फिदा हो गए कि उन्होंने मान लिया था राज कपूर एक उम्दा सिंगर भी हैं ।  जब राज कपूर अपनी फिल्म के प्रमोशन के लिए रूस गए थे, तब हर जगह लोग उनके सामने गाना गाने की मांग कर रहे थे ।  राज कपूर ने उन्हें बहुत समझाने की कोशिश की थी कि वो सिंगर नहीं महज एक एक्टर हैं, लेकिन कोई उन पर विश्वास करने के लिए तैयार नहीं था । 1960 के मध्य जब वे लंदन से मास्को बिना वीजा के पहुँच गए थे तो भी वहाँ की सरकार ने उनके स्वागत में कोई कसर नहीं छोड़ी ।

             इसी तरह अहमदजान कासिमो, नजमुद्दीन निजामुद्दीनो की चर्चा के बिना राज कपूर की उज़्बेकिस्तान से जुड़ी कड़ियों को जोड़ा और संजोया नहीं जा सकेगा । ये उज़्बेकिस्तान के वे लोग हैं जिन्होंने राज कपूर से दीवानगी की हद तक मोहब्बत की है। राज कपूर की स्मृतियों को किसी न किसी रूप में संजोए रखने में भी इन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की । नजमुद्दीन निजामुद्दीनो बताते हैं कि राज कपूर के लिए इंटरप्रिटर का काम करते हुए वे लगातार उनसे कई सवाल करते थे। शुरू शुरू में राज कपूर भी पूरे उत्साह और सहजता से नजमुद्दीन निजामुद्दीनो के सवालों का जवाब देते थे । लेकिन हफ़्ते दस दिन बाद उन्हें इन सवालों से कोफ़्त होने लगी । आख़िर एक दिन झुंझलाकर उन्होंने कहा कि तुम इतने सवाल क्यों पूछते हो? तब नजमुद्दीन निजामुद्दीनो ने उन्हें बताया कि दरअसल वे उनपर एक किताब लिखना चाहते हैं इसलिए इतने सवाल पूछते हैं। उनकी किताब वाली बात सुनकर राज कपूर बोले," क्या यह संभव है?" इससे नजमुद्दीन निजामुद्दीनो के मन में आस जगी और वे उत्साह से बोले कि "बिलकुल संभव है।" इसके बाद राज कपूर जब तक उज़्बेकिस्तान रहे न केवल नजमुद्दीन निजामुद्दीनो के सवालों का जवाब देते रहे बल्कि भारत वापस जाते समय एक रिकॉर्डेड कैसेट भी नजमुद्दीन निजामुद्दीनो को यह कहते हुए दी कि,"इससे तुम्हारा काम काफ़ी आसान हो जाएगा।" नजमुद्दीन निजामुद्दीनो ने राज कपूर पर दो किताबें लिखीं जो कि प्रकाशित हो चुकी हैं ।


               इसी तरह अहमदजान कासिमो राज कपूर से जुड़ी अपनी यादों को ताज़ा करते हुए हमें बताते हैं कि – ‘’वे दिन जब मैं श्री राज कपूर जी के लिए जो न केवल एक फिल्मी सितारा थे बल्कि विश्व सिनेमा के लिए एक सूरज भी बन चुके थे । मैंने उनके लिए एक अनुवादक के रूप में काम किया । वह मेरे लिये हमेशा सबसे अच्छे याददाश के रुप में रहेगा। मेरे जैसे एक साधारण व्यक्ति के लिए, जो भारत की भूमि से प्यार करता था, इस व्यक्ति के साथ संवाद करना, उसके बगल में चलना एक बड़े सम्मान की बात थी।‘’ अहमदजान कासिमो के पास राज कपूर से जुड़ी कई स्मृतियाँ हैं । कपूर परिवार के कई लोगों के लिए वे अनुवादक के रूप में कार्य कर चुके हैं ।

            

        समग्र रूप से हम यह कह सकते हैं कि राज कपूर के चाहनेवाले मध्य एशिया समेत पूरी दुनियाँ में थे । अपनी फिल्मों के माध्यम से राज कपूर ने भारत की एक बेहतर छवि भी दुनियाँ के सामने प्रस्तुत की । हिन्दी भाषा, भारतीय संगीत और यहाँ की फिल्मों को लेकर एक सकारात्मक वातावरण प्रस्तुत किया । आज जब भारत के प्रधानमंत्री यह कहते हैं कि – ‘’मध्य एशिया में भारतीय सिनेमा के लिए मौजूद अपार संभावनाओं को भुनाने की दिशा में काम करने की जरूरत है, मध्य एशिया में नई पीढ़ी तक पहुंचने के प्रयास किए जाने चाहिए ।‘’तो वे राज कपूर को केंद्र में रखकर यह बात करते हैं । हमें खुशी है कि इसका एक विनम्र प्रयास हमने 17 दिसंबर 2024 को एक अंतरराष्ट्रीय परिसंवाद करके किया ।

 

डॉ. मनीष कुमार मिश्रा

विजिटिंग प्रोफ़ेसर(ICCR Chair)

ताशकंद स्टेट युनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज़

ताशकंद, उज़्बेकिस्तान

 

डॉ. नीलूफ़र खोजाएवा

 अध्यक्ष

दक्षिण एवं दक्षिण पूर्व एशियाई भाषा विभाग

ताशकंद राजकीय प्राच्य विश्वविद्यालय

ताशकंद, उज़्बेकिस्तान

 

 

संदर्भ :

1.     https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2083540

2.     https://www.scribd.com/document/422347465/Raj-Kapoor

3.     https://archive.org/details/rajkapoorspeaks0000nand

4.     https://hindi.matrubharti.com/book/read/content/19927056/showman-raj-kapoor-ritu-nanda-by

5.     शो मैन राज कपूर – रितु नंदा,प्रभात प्रकाशन, नई दिल्ली

6.     राज कपूर सृजन प्रक्रिया – जय प्रकाश चौकसे, राज कमल प्रकाशन,नई दिल्ली

7.     https://hbsp.harvard.edu/product/317100-PDF-ENG

8.        राज कपूर बॉलीवुड के सबसे बड़े शो मैन – राहुल खेल,प्रणिका शर्मा , प्रभात प्रकाशन,नई दिल्ली

9.     Raj Kapoor and India’s Foremost Cinematic Soft Power Breakthrough- ANUBHAV ROY, JAN 23 2017, https://www.e-ir.info/2017/01/23/raj-kapoor-and-indias-foremost-cinematic-soft-power-breakthrough/

10.   https://www.bhaskar.com/entertainment/bollywood/news/raj-kapoor-journey-explained-nargis-rk-films-bobby-awaara-mera-naam-joker-134115716.html

11.   https://www.academia.edu/52079134/Fire_and_Rain_The_Tramp_and_The_Trickster_romance_and_the_family_in_the_early_films_of_Raj_Kapoor

12.   https://www.tv9hindi.com/knowledge/raj-kapoor-popularity-interesting-stories-when-6-crore-tickets-sold-of-awara-movie-in-russia-2997905.html

13.   https://www.tv9hindi.com/entertainment/bollywood-news/raj-kapoor-craze-in-russia-international-fans-thought-he-is-also-singer-what-he-did-next-was-surprising-3008546.html

 

 

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